Wednesday, 30 November 2016

अनशन तोडे पछि इरोम चानु शर्मिलाले जुन अवस्थामा आफूलाई पाइन् त्यो अवस्थाको शायद उनले कल्पना पनि गरेकी थिइनन्। उनलाई उनकै वरिपरिकाहरूले दुत्कारे, परिवारका सदस्यहरूले घरमा पस्न दिएनन्, आफ्नो प्रेमी जसको भरोसामा नयाँ जीवन शुरू गर्ने आशा साँचेकी थिइन् उनले पनि साथ दिएनन्। शर्मिला आज घरबार विहीन, आत्मीयजन विहीन, सान्त्वना विहीन आफू उभिएको माटोमा नितान्त एक्ली छन् । सत्ताको विरोधमा होस् वा सामाजिक मानसिकताको विरोधमा होस् उनको सङ्घर्ष अझ सकिएको छैन । न सत्ताले न समाजले, न व्यवस्थाले मान्छेलाई मान्छे जस्तै बाँच्न दिन्छ। ऊ जब पनि भीडको विरूद्ध हुन्छ भीड नै उसको घोर शत्रु बन्छ। यो कविता उनैलाई नै समर्पित छ।

जलना तो मुझे अब भी है।

कवियत्री : पवित्रा लामा

मैं फिर उसी मोड पर खडी रह गई
जिस मोड पर आकर करवट ली थी
जिन्दगी की इक नई हसरत ने
कुछ कसमें, कुछ वादे, कुछ सपने
मेरी झोली में डाले थे वक्त ने
मैं उसी मोड पर खडी रह गई ।

क्या हुआ कि मुस्कुराती कलियों पर गिरी है गाज
क्या हुआ कि फिर से मैं अकेली हूँ आज
मेरे साथ चलने वाले वो लोग कहाँ हैं ?
मेरे रूह में साँस भरने वाली वो आह कहाँ हैं ?
जिनके कदमों की आहट मुझे रखती थी हरपल जिन्दा
जिनके दम पर मौत भी होती थी शर्मिन्दा !

कहाँ हैं वो हाथ जो पोंछते थे कभी मेरे आँसू !
वो लोरियाँ वो जलती मशालें कहाँ हैं ?
जब कभी भूख से काँपती थी मेरी अँतडियाँ
मुझे थपकी देकर सुलाते हाथ कहाँ हैं?
क्या अर्थ कुरेदूँ इन सन्नाटों का मैं
क्या मतलब लगाऊँ इन आभासों का मैं
कि मुझे मेरी मिट्टी ने दुत्कार दिया है
मेरी उपस्थिति को सिरे से नकार दिया है

मेरा होना, होना और बस होना
मेरी काया और मेरा साया भी मेरा न होना
क्या सत्ता के नारों के बगैर मैं कुछ भी नहीं
क्या विरोधी उद्गारों के बगैर मैं कुछ भी नहीं
मैंने तो माँगा था हक एक एक भूमिहर के लिए
मैंने चाहा हर कोई जिए तो सर उठा के जिए
  

जिस भूख की आग में सरहदें बिक जाया करती हैं
अस्मत, इज्जत, इमान दाँव पर लग जाया करती हैं
उस भूख की आँच पर भी मैं जिन्दा थी हवाओं के दम पर
मैं थी जिन्दा, थी खडी, बस दुवाओं के बल पर
मैं थी तो टिमटिमाते थे तारे, खुली आसमानों पर
मैं थी तो रोशन थे उम्मीद हर आँखों पर

मैं तो देह हूँ जलती तो मैं तब भी थी
मैं बस देह ही हूँ जलना तो मुझे अब भी है ।

अँगारों भरी राहों में
चलना तो मुझे अब भी है
देह हूँ,
जलना तो मुझे अब भी है।
जलना तो मुझे अब भी है ।

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